सिटी मीडिया (चंडीगढ़): हरियाणा विधानसभा सदन द्वारा वर्ष 2020 में पारित बाल विवाह प्रतिषेध हरियाणा संशोधन कानून 2020 को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलने के उपरांत प्रदेश सरकार द्वारा इसी माह के आरंभ में शासकीय गजट में अधिसूचित कर दिया गया है ।
जिसमें वह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है सरल शब्दों में कहा जाए तो उक्त कानून लागू होने के फलस्वरूप हरियाणा में बाल विवाह आरंभ से ही अवैध और अमान्य होगा । पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि 15 वर्ष पूर्व वर्ष 2007 में देश के तत्कालीन व्याप्त बाल विवाह निरोध कानून 1969 को समाप्त कर बाल विवाह प्रतिषेध कानून 2006 बनाया गया था । जिसे केंद्र सरकार द्वारा 1 नवंबर 2007 से देश में लागू किया गया था ।
उक्त कानून के अनुसार बाल विवाह से अभिप्राय है ऐसा विवाह जिसमें पुरुष 21 वर्ष से कम आयु का हो या महिला 18 वर्ष से कम आयु की हो हालांकि उक्त कानून की धारा 31 के अनुसार बाल विवाह आरंभ से ही पूर्णता अवैध और मान्य नहीं होता बल्कि शून्यकर्णी होता है अर्थात विवाह बंधन के पक्षकार (अर्थात बाल विवाह में सम्मिलित पति या पत्नी) द्वारा व व्यसक होने के 2 वर्षों के भीतर (अर्थात 18 वर्ष की आयु होने के बाद 2 वर्षों तक) जिला संबंधित अदालत में उपयुक्त अर्जी दायर कर ऐसे विवाह को अमान्य या अवैध घोषित करवाया जा सकता है ।
एडवोकेट हेमंत ने आगे बताया हालांकि बाल विवाह प्रतिषेध कानून 2006 द्वारा संसद द्वारा बनाया गया केंद्रीय कानून है और इसमें सामान्य केंद्र सरकार द्वारा ही संसद में संशोधन करवाया जा सकता है । परंतु क्योंकि विवाह संबंधी विषय भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में पड़ता है इसलिए राज्य सरकारें भी अपने प्रदेश के भीतर उक्त कानून में विधान सभा द्वारा उपयुक्त संशोधन करवाने हेतु सक्षम है । हालांकि उसके पश्चात देश के राष्ट्रपति की स्वीकृति अनिवार्य होती है । 13 मई 2022 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उपरोक्त हरियाणा संशोधन कानून को स्वीकृति प्रदान की गई जिसकी हरियाणा सरकार द्वारा गजट नोटिफिकेशन हालांकि 2 अगस्त 2022 को की गई है । इस तारीख से यह कानून प्रदेश में तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है । कर्नाटक विधानसभा द्वारा वर्ष 2016 में भी ऐसा कानून संशोधन किया गया था ।